भूमिका भास्कर( दो भागो में ) – Bhumika Bhaskar (In two parts) Part- 1

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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने वेदभाष्य निर्माण से पूर्व एक विस्तृत भूमिका की रचना की जिसमें अपने वेदभाष्य के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया । इस ग्रन्थ में ऋषि ने अपने सभी वेदविषयक सिद्धान्तों का विशद् निरूपण किया है । इसमें लगभग पैंतीस शीर्षकों के अन्दर वेद के प्रमुख प्रतिपाद्य पर प्रभूत प्रकाश डाला गया है जिन में से आगे लिखे विषय विशेष उल्लेखनीय – हैं – वेदोत्पत्ति , वेदनित्यत्व , वेदविषय , वेदसंज्ञा , ब्रह्मविद्या , वेदोक्तधर्म , सृष्टिविद्या , पृथिवी आदि का भ्रमण , गणित , मुक्ति , पुनर्जन्म , वर्णाश्रम , पञ्चमहायज्ञ , ग्रन्थप्रामाण्य , वेद के ऋषि – देवता – छन्द – अलंकार – व्याकरण | – – । स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के संन्यासी विद्वद्वर्ग में अग्रगण्य थे । उनकी लेखनी में ओज तथा प्रवाह था , प्रतिभा के धनी और योजनाबद्ध लेखन कार्य करने की प्रवृत्ति से पूरिपूर्ण थे । ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा का सुझाव था कि ऋषि के ग्रन्थों के उक्त वचनों का स्पष्टीकरण और विशद् व्याख्याएँ तैयार कराकर प्रकाशित की जाएं । इसीलिए स्वामी जी ने इस कार्य को करने का संकल्प किया और ‘ भूमिकाभास्कर की संरचना की ।

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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने वेदभाष्य निर्माण से पूर्व एक विस्तृत भूमिका की रचना की जिसमें अपने वेदभाष्य के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया । इस ग्रन्थ में ऋषि ने अपने सभी वेदविषयक सिद्धान्तों का विशद् निरूपण किया है । इसमें लगभग पैंतीस शीर्षकों के अन्दर वेद के प्रमुख प्रतिपाद्य पर प्रभूत प्रकाश डाला गया है जिन में से आगे लिखे विषय विशेष उल्लेखनीय – हैं – वेदोत्पत्ति , वेदनित्यत्व , वेदविषय , वेदसंज्ञा , ब्रह्मविद्या , वेदोक्तधर्म , सृष्टिविद्या , पृथिवी आदि का भ्रमण , गणित , मुक्ति , पुनर्जन्म , वर्णाश्रम , पञ्चमहायज्ञ , ग्रन्थप्रामाण्य , वेद के ऋषि – देवता – छन्द – अलंकार – व्याकरण | – – । स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के संन्यासी विद्वद्वर्ग में अग्रगण्य थे । उनकी लेखनी में ओज तथा प्रवाह था , प्रतिभा के धनी और योजनाबद्ध लेखन कार्य करने की प्रवृत्ति से पूरिपूर्ण थे । ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा का सुझाव था कि ऋषि के ग्रन्थों के उक्त वचनों का स्पष्टीकरण और विशद् व्याख्याएँ तैयार कराकर प्रकाशित की जाएं । इसीलिए स्वामी जी ने इस कार्य को करने का संकल्प किया और ‘ भूमिकाभास्कर की संरचना की ।

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