“Complete Veda Bhashya” (Hindi) – सम्पूर्ण वेद भाष्य (हिंदी)

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सभी वेदों की अपनी – अपनी विशेषताएँ हैं । वेद संतप्त मानवों को अपूर्व शांति प्रदान करते हैं । आधि – व्याधि और वासनाओं से विक्षुब्ध मानव हृदय वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए आनंदसागर में निमग्न हो जाता है । वेद क्या हैं – वैदिक संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है और संपूर्ण विश्व के द्वारा वरणीय है । वेद ज्ञान – विज्ञान के अक्षय कोष हैं । वेद संपूर्ण वैदिक वाङ्मय का प्राण हैं । वेदों में तेज , ओज , और वर्चस्व की राशि है ।

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सभी वेदों की अपनी – अपनी विशेषताएँ हैं । वेद संतप्त मानवों को अपूर्व शांति प्रदान करते हैं । आधि – व्याधि और वासनाओं से विक्षुब्ध मानव हृदय वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए आनंदसागर में निमग्न हो जाता है । वेद क्या हैं – वैदिक संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है और संपूर्ण विश्व के द्वारा वरणीय है । वेद ज्ञान – विज्ञान के अक्षय कोष हैं । वेद संपूर्ण वैदिक वाङ्मय का प्राण हैं । वेदों में तेज , ओज , और वर्चस्व की राशि है । वेदों में दिग्दिगंत को पावन करने वाले दिव्य उपदेश हैं . मानवता को झकझोरनेवाले अनुपम आदेश और संदेश हैं । वेद में आधिभौतिक उन्नति की चरम सीमा है , आधिदैविक अभ्युदय की पराकाष्ठा है और आध्यात्मिक आरोहण का सवोत्तम रूप है । हम वेद क्यों पढ़ें – वेद उत्तम मनुष्य बनने और उत्तम संतान पैदा करने का आदेश देते हैं । ऋग्वेद में कहा है- ‘ मनुर्भव जनया दैव्यं जनम ‘ । वेद के स्वाध्याय से मनुष्य के मन और मस्तिष्क में यह बात भली – भाँति बैठ जाती है कि यह संसार परमात्मा द्वारा रचा गया है , जो अद्वितीय है । उससे बड़ा तो क्या उसके बराबर भी कोई नहीं है । वह परमात्मा न्यायकारी है । मनुष्य जैसे कर्म करता है , वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है यह विचार मनुष्य को पुण्यात्मा , सदाचारी , दयालु , परोपकारी , न्यायकारी पर दुःखकातर , निर्भय और मानवता के गुणों से सुभूषित बना देता है । वेद हमें जीवन जीने की कला सिखाता है । हमारा अपने प्रति क्या कर्तव्य है , परिवार , समाज , राष्ट्र और विश्व के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है , परमात्मा के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है – इस सबका ज्ञान हमें वेद से ही प्राप्त होगा । वर्णाश्रम धर्मों का प्रतिपादन भी वेद में सुंदररूप में प्रस्तुत किया गया है । ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र – इन सभी वर्गों के तथा ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास इन सभी आश्रमवासियों के कर्तव्यकर्मों का सदुपदेश वेद में विद्यमान है , जिन पर आचरण करने से मनुष्य का जीवन उदात्त भावनाओं से पूर्ण नियमित संयमित और संतुलित बन जाता है । मनुष्य को सच्चा मनुष्य बनाने के लिए वेद का अध्ययन अनिवार्य है । मनुष्य और कुछ पढ़े या न पढ़े , वेद तो उसे पढ़ना ही चाहिए । महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने वेद का पढ़ना – पढ़ाना और सुनना सुनाना आर्यों का परमधर्म बतलाया है । हम उनके इसी आदेश का पालन करते हुए वेदों का प्रकाशन किया गया है ताकि वेदों का प्रचार और प्रसार होता रहे । यह संस्करण कम्प्यूटर द्वारा मुद्रित शुद्धतम् सामग्री नयनाभिराम छपाई , आकर्षक आवरण , उत्तम कागज , मजबूत जिल्द , सुन्दर स्पष्ट टाईप , कुल 10400 पृष्ठों में , शब्दार्थ व मन्त्रानुक्रमणिका सहित आठ खण्डों में उपलब्ध है । ऋग्वेद महर्षि दयानन्द तथा अन्य वैदिक विद्वानों द्वारा यजुर्वेद महर्षि दयानन्द , सामवेद – पं . त्रिवेदी का भाष्य है । रामनाथ वेदालंकार तथा अथर्ववेद – पं . क्षेमकरणदास

The Word ” Veda ” mean knowledge par – excellence , Sacred wisdom first revealed to the four great Rashes – Agni , Vayu Aditya and Angira at the beginning of creation . The Vedas are called Sruti , means the sounds heard by sages in yogic unity with supreme parbrahaman . Vedas are the purest expression of spiritual idealism of our philosophy , sanatan – immortal and timeless . The ancient sages those were blessed stupendous memory ; they preserved this sacred knowledge in their memory with proper accentuation and passed on to the successive generations through oral teachings with utmost care and accuracy . Later when the Sanskrit script writing was developed the great sages compiled the Vedic Wisdom into four Holy Scriptures ; the Rig – Veda , the Yajur – veda , Sam – Veda and Atharva – veda . The Vedas are considered to be divine revelation which has been handed down to humanity as a necessary guidance in order to live in peace and harmony on earth . Vedic literature is the proud possession of mankind since the beginning Fhuman history . 20,000 plus Mantras , Original Sanskrit Text of Mantra , English Transliteration of Sanskrit text ( for those who can’t read Sanskrit ) , Lucid English Translation , The only authentic English translation of RIGVEDA , YAJURVEDA , SAMAVEDA and ATHARVAVEDA in human history . Rig Veda ( in 4 vols ) , Yajur Veda ( in 1 vol ) , Sama Veda ( in 1 vol ) , Atharva Veda ( in 2 vols )

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