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आर्य सत्संग गुटका (Arya Satsang Gutika)
सन्ध्या , प्रार्थना , स्वस्तिवाचन शान्तिकरण , प्रधान हवन , संगठनसूक्त , आर्यसमाज के नियम एवं मनोहारी भजन ( सार्वदेशिक धर्मार्य सभा से स्वीकृत पद्धति के आधार पर ) ।
₹25.00 -
Aryoddeshya Ratna Mala
In 1873, a book called Aryodshyaratnamala was published in which Swamiji has described the definition of one hundred words. Many of these words come in common parlance but their meanings have become fixed, for example Ishwar Dharma-Karma etc. They are defined and explained in this book.
₹30.00Aryoddeshya Ratna Mala
₹30.00 -
कर्मफल सिद्धांत – Karmphal Siddhant
उपाध्याय जी जन्मजात दार्शनिक थे । दर्शन तथा सिद्धान्त सम्बन्धी अनेकों उच्चकोटि के ग्रन्थ उन्होंने लिखे । पाप , पुण्य , दुःख , सुख , मृत्यु , पुनर्जन्म , जीव व ब्रह्म का सम्बन्ध विषयक अनके प्रश्नों पर इस पुस्तक में युक्तियुक्त सप्रमाण प्रकाश डाला गया है । ‘ कर्म – फल – सिद्धान्त को बार बार पढ़ने को आपका मन करेगा । प्रश्नोत्तर शैली में अत्यन्त शुष्क विषय को उपाध्याय जी ने बहुत रोचक व सरल सुबोध बना दिया है । कर्म फल सिद्धान्त पर छोटी – बड़ी अनेक पुस्तकें हैं , परन्तु उपाध्याय जी की यह पुस्तक अपने विषय की अनुपम कृति | उपाध्याय जी ने स्वयं ही इसका उर्दू अनुवाद किया था । उपाध्याय जी की कौन सी दार्शनिक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है , यह निर्णय करना किसी भी विद्वान् के वश की बात नहीं है । बस यही कहकर सब गुणियों को सन्तोष करना चाहिए । कि अपने स्थान पर उनकी प्रत्येक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है । ज्ञान पिपासु पाठक , उपाध्याय जी के सदा ऋणी रहेंगे ।
₹30.00 -
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ओंकार निर्णय – Omkar nirnaya By ShivShankar Sharma Kavyatirth
ओंकार निर्णय नामक पुस्तक आध्यात्मिक स्वाध्याय के लिए अनूठी पुस्तक है । ‘ ओझर ‘ अथवा ‘ ओ ३ म् ‘ के अर्थ , महत्व और उपास्य स्वरूप को समझने के लिए इससे बढ़कर प्रमाण और तर्कयुक्त पुस्तक शायद ही कोई अन्य हो । विद्वान् लेखक ने इस पुस्तक में वेदों , ब्राह्मण ग्रन्थों , उपनिषदों , मनुस्मृति , गीता , व्याकरण आदि वैदिक साहित्य के प्रमाण देकर ‘ ओ ३ म ‘ के अर्थ और महत्व को तो प्रतिपादित किया ही है , साथ ही पुराणों और तन्त्र ग्रन्थों में वर्णित ओ ३ म् के महत्व को भी खोजकर उसको सप्रमाण प्रस्तुत कर दिया है ।
₹65.00 -
ऋषि दयानन्द के सर्वश्रेष्ठ प्रवचन – Rishi Dayanand Ke Sarvasreshth Pravachan
अपने युग के अद्वितीय विद्वान् तथा धर्म संशोधक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने स्वजीवन काल में सहस्रों व्याख्यान व प्रवचन दिये , किन्तु महाराष्ट्र की काशी पूर्ण नगरी में दिये गये उनके कतिपय व्याख्यानों के अतिरिक्त उनके अन्य भाषण व प्रवचन न तो लिपिबद्ध हो सके और न उनका विस्तृत विवरण उपलब्ध होता है । इस ग्रन्थ के अध्ययन से स्वामी दयानन्द की व्याख्यान शैली से पाठकों को रूबरू होने का अवसर मिलेगा , साथ ही उनके अपार वैदुष्य , परगामी शास्त्र ज्ञान , उन्कृष्ट तर्क कौशल , वाक्यातुर्य तथा प्रतिपादन कौशल से भी परिचित हो सकेंगे । अनेक ऐसे प्रश्न और प्रसंग जो अन्य ग्रन्थों में व्याख्यात नहीं किये जा सके उन्हे स्वामीजी ने इन व्याख्यानों में स्पष्ट किया है ।
Edited by Dr. Bhawanilal Bhartiyaji , this is collection of 15 pravachan of Swami dayanand delivered at PUNE . Which also called UPDESH MANJARI₹75.00 -
ARYA SAMAJ – The Noble Society ( SHRI J. M. MEHTA )
This book though small, deals with a great socio-religious organization known as ARYA SAMAJ, which means NOBLE SOCIETY. Arya Samaj was founded by SWAMI DAYANAND SARASWATI, a renowned seer, great social reformer and a leading light of Indian Renaissance, As the name suggests, the goal ofArya Samaj is to establish a noble society by propagating Vedic Teachings which contain divine message of Truth, righteousness and universal brotherhood. In essence, the main aim of Arya Samaj is to promote the physical, spiritual and social welfare of all mankind. This is indeed the most pressing need of all mankind for all times.
It is hoped that this book will be a trendy source of information especially to the modern youth and will be well received by the general public.
₹100.00 -
उपनिषदों की कथाएं ( Upnishadon ki kathayen )
आर्य समाज में उपनिषदों को सदा ही आदर मिलता रहा है । ऋषि दयानंद ने अपने ग्रंथों में उपनिषदों के शतशः उद्धरण दिए हैं तथा अपने दार्शनिक मत की पुष्टि में उन्हें भूरीशः उद्धृत किया है । उपनिषत्कार प्रायः अपने सिद्धांतों को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न आख्यानों और कथाओं का सहारा लेते हैं । इन आख्यानों और कथाओं के द्वारा अध्यात्म जैसे गूढ़ विषय को स्पष्ट , सरल तथा बोधगम्य बनाने का उपनिषद् निर्माता ऋषियों का यह प्रयास निश्चय ही श्लाघनीय था ।
आवश्यक कथाओं की यह सुबोध व्याख्या उपनिषद्गत अध्यात्म में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत है ।
The Upnishads are Vedanta , a book of knowledge in higher degree even than the VEDAS . In the present work , the author has selected the well known dialogues and parables from the Upnishads ; narrated and have tried to be as close to the original as possible , retaining the beauty of the original composition .Each phrase has something interesting and instructive . Each dialogue deals with some of the mysteries unfolded .
₹100.00