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आर्यसमाज के दस नियमों की व्याख्या (Aryasamaj Ke Das Niyamon Ki Vyakhaya)
सत्य पर आधारित एक सर्वभौम आर्यसंगठन का नाम आर्यसमाज है । आर्यसमाज का धर्म वेद है । वैदिक सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या महर्षि दयानन्दरचित ग्रन्थों में और उन सिद्धान्तों का संक्षेप ‘ स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश ‘ में दिया गया है और उसका भी सार आर्यसमाज के नियमों में है । यह सभी नियम बहुत तर्कपूर्ण हैं ।
आर्यसमाजों के साप्ताहिक सत्संग में शान्तिपाठ से पूर्व आर्यसमाज के नियमों का सम्मिलित पाठ किया जाता है । इसके अतिरिक्त अनेक आर्यशिक्षण संस्थाओं में छात्रों को ये नियम कण्ठस्थ कराये जाते हैं । इस प्रकार आर्यजनों में इन नियमों का व्यापक प्रचार है । इन नियमों की भावना और सिद्धान्तों को सही प्रकार से समझ सकें , इस उद्देश्य से प्रस्तुत पुस्तक में नियमों की सरल व्याख्या करने का प्रयास किया है । आशा है स्वाध्यायशील आर्यजन इस प्रयास से लाभान्वित होंगे ।
₹30.00 -
उपनिषदों में आर्यसमाज के दस नियमों का दिग्दर्शन (Upnishadon Me Aryasamaj Ke Das Niyamon ka Dikdarshan))
उपनिषदों में आर्यसमाज के दस नियमों का दिग्दर्शन मैंने इस पुस्तक के लिखने में प . वैद्यनाथ शास्त्री कृत ‘ प्रमाण गागर ‘ . पं ० गंगाप्रसाद उपाध्याय कृत ‘ भगवत् कथा ‘ , प्रो . सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार कृत ‘ उपनषिद् प्रकाश ‘ तथा पं . शिवशंकर काव्यतीर्थ के ‘ बृहदारण्यक उपनिषद ‘ का पर्याप्त प्रयोग किया है । आशा है विद्वजन इस पर विचार करेंगे और उपनिषदों को समझने में इसे उपयोगी पाएँगे । -ब्र नन्दकिशोर
₹30.00 -
कथा पच्चीसी ( Katha Pachisee )
स्वामी दर्शनानन्द जी का यह कथा – संकलन उत्प्रेरक है , मर्म – स्पर्शी भी । यह बालोपयोगी भी रहे , इसके लिए अशलीलता – बोधक शब्दों और पात्रों के नाम बदल दिये गए हैं । इसमें पौराणिक और लोक – कथाओं का रोचक वर्णन है । प्रत्येक कथा अंत में मार्मिक उपदेश दे जाती है । इसे सभी आयु के पाठक पढ़ें और ज्ञानार्जन करें , यही स्वामी दर्शनानन्द जी का ध्येय था और यही हमारा उद्देश्य है ।
₹30.00 -
कर्मफल सिद्धांत – Karmphal Siddhant
उपाध्याय जी जन्मजात दार्शनिक थे । दर्शन तथा सिद्धान्त सम्बन्धी अनेकों उच्चकोटि के ग्रन्थ उन्होंने लिखे । पाप , पुण्य , दुःख , सुख , मृत्यु , पुनर्जन्म , जीव व ब्रह्म का सम्बन्ध विषयक अनके प्रश्नों पर इस पुस्तक में युक्तियुक्त सप्रमाण प्रकाश डाला गया है । ‘ कर्म – फल – सिद्धान्त को बार बार पढ़ने को आपका मन करेगा । प्रश्नोत्तर शैली में अत्यन्त शुष्क विषय को उपाध्याय जी ने बहुत रोचक व सरल सुबोध बना दिया है । कर्म फल सिद्धान्त पर छोटी – बड़ी अनेक पुस्तकें हैं , परन्तु उपाध्याय जी की यह पुस्तक अपने विषय की अनुपम कृति | उपाध्याय जी ने स्वयं ही इसका उर्दू अनुवाद किया था । उपाध्याय जी की कौन सी दार्शनिक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है , यह निर्णय करना किसी भी विद्वान् के वश की बात नहीं है । बस यही कहकर सब गुणियों को सन्तोष करना चाहिए । कि अपने स्थान पर उनकी प्रत्येक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है । ज्ञान पिपासु पाठक , उपाध्याय जी के सदा ऋणी रहेंगे ।
₹30.00 -
आदर्श परिवार – Adarsh Parivar
प्रत्येक व्यक्ति स्वर्ग में जाना चाहता है परन्तु मरने के पश्चात् । क्या आप जीते – जी , इस शरीर से स्वर्ग जाना चाहते हैं , यदि हाँ तो , इस पुस्तक को पढ़ जाइए । इसमें आपको स्वर्ग की अनुपम झाँकियाँ मिलेंगी । स्वर्ग आकाश में नहीं है , स्वर्ग और नरक इस धरा पर हो विद्यमान हैं । यदि आप अपने घर को स्वर्ग बनाना चाहते हैं , अपने पुत्रों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगिराज श्रीकृष्ण और पुत्रियों को सीता , सावित्री तथा गार्गी जैसा बनाना चाहते हैं , आप स्वयं अपने परिवार को आदर्श वैदिक परिवार बनाना चाहते हैं विवाह के समय आपने जो प्रतिज्ञाएँ की थीं उनके रहस्य और मर्म को जानना चाहते हैं तो एक बार इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें , आपके जीवन आनन्द , उल्लास और ज्योति से परिपूर्ण हो जाएँगे ।
₹40.00 -
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Confidential talk to Young Men By Satyavrat Siddhantalankar
The message of this book is addressed to those young men who cherish the ambition to leave their mark on the society and who want to do some creative work for the mankind.
We must save the vital fluid (semen) in order to attain physical, mental and spiritual heights. When this vital fluid is abosorbed in the body it gives tone to every cell, nerve and fiber.
This book will open new vista before you, a new out look, a different view from what you have been hearing from your fellow mates or some physicians.
₹45.00 -
आर्य समाज के बीस बलिदानी (Arya Samaj Ke Bees Balidani)
भारत के नवजागरण तथा उसके धार्मिक एवं सांस्कृतिक पुनरुथान में आर्यसमाज का जो योगदान है उसे पहले ही इतिहास में अंकित कर लिया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में उन 20 आर्य नेताओं के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिन्होंने आर्यसमाज के माध्यम से स्वधर्म, स्वराष्ट्र तथा स्वसंस्कृति की सेवा की। आशा है इस लघु कलेवर वाली पुस्तक से पाठकों को आर्य नेताओं के लोक-कल्याण के लिये समर्पित जीवन की सही-सही जानकारी प्राप्त हो सकेगी। डॉ. भवानीलाल भारतीय ने इसे भाषा और शैली की दृष्टि से किशोरोपयोगी बनाकर प्रशंसनीय कार्य किया है ।
₹45.00