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खट्टे मीठे चरपरे – Khatte meethe Charpare By Narendra vidhyavachaspati
संसार के सभी लोगों को यह सत्य स्वीकारना पड़ा है कि अतीत सदा सुहाना होता है । इसी तथ्य को अंग्रेजों ने अपने अंदाज में कहा है कि ‘ पास्ट इज़ ऑलवेज़ प्लैजेंट । जीवन में कभी ऐसे भी हालात बने कि मन खट्टा हो गया , कभी अपनों ने ऐसा फटकारा – दुत्कारा कि सीधे दिल पर आघात लगे , कभी मौत के मुँह में ऐसे फँसे कि बचना मुहाल हो गया , कभी दुश्मन ने ऐसा दुलारा कि जीवन में शहद की . मिठास घुल गई , कभी छोटी – सी बालिका ने ‘ पिस्तौलों वाली अटैची ‘ थाम कर जान सांसत में डाल दी , कभी वहम के रोग ने ऐसा तिगुनी का नाच नचाया कि जीवन नरक बन गया । ऐसा भी हुआ कि कनस्तर से आटा गायब होने लगा , घर से रुपये – पैसे उड़ने लगे , रसोई से दालें – चावल उड़नछू होते रहे , परन्तु चोर कभी रंगे हाथों पक में नहीं आया । ये संस्मरण पंडितराज नरेन्द्र विद्यावाचस्पति के हैं जो इतने मनोरंजक हैं कि पढ़ते – सुनते रुलाते भी हैं , हँसाते भी हैं । गोआ , नेपाल , पूर्वाचल , उत्तरांचल , कूर्माचल और अण्डमान के संस्मरण हमारे राष्ट्र का ऐसा इतिहास दर्शाते हैं ।
₹175.00 -
क्रांतिकारी महिलाएं – Krantikari Mahilaye By Murarilal Goyal
देश की धरती ने देश को अनेक वीरांगनायें प्रदान की है । झांसी की रानी, लक्ष्मी बाई की वीरता की दस्तान तो हर जुबान पर चढ़ी हुई है पर रानी दुर्गावती , रानी पेठगम्मा , बेगम हजरत ग्रहल , रजिया सुल्तान , इन्दिरा गांधी के नामों को भी मुलाया नहीं जा सकता । इनके अलावा अन्य वीरांगनाओं का इतिहास भी कम गौरवपूर्ण नहीं है । उन सभी को पुस्तक में यथेष्ठ स्थान दिया गया है । यह पुस्तक देश की वीर नारियों की गौरवगाथा का दिग्दर्शन कराती है ।
₹175.00 -
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क्रांतिकारी सावरकर – Krantikari Sawarkar (Freedom Fighter)
युगपुरुष वीर विनायक दामोदर सावरकर एक हिन्दुत्ववादी राजनितिक चिंतक और स्वतन्त्रता सेनानी रहे है । अपने इन विचारों को अभिव्यक्त करने में उन्होंने कभी किसी प्रकार का संकोच नहीं किया । वह अपने प्रारंभिक विद्दार्थी जीवन से ही स्वाधीन भारत के स्वप्न देखने लगे थे । उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन जाने पर भी स्वाधीन भारत की इच्छा उन्हें क्रांतिकारियों के संपर्क में ले गयी कन्तिकारी गतिविधियों ने मान पर बड़ी बनाकर भारत लए गए । मार्ग में जहाज से समुन्द्र में कुठे पड़ना उनकी अदम्य इच्छाशक्ति ठउत्कट देशप्रेम का परिचायक है । भारत में जीवन पर्यन्त कठोर कारावास का दण्ड मिलने पर कालापानी भेजे गए , किन्तु कालेपानी की नारकीय यंत्रणाएँ भी उन्हें अपने लक्ष्य से विचलित नहीं कर सकी । भारत स्वतन्त्र हुआ , किन्तु उसके दो भाग कर दिए गए , अतः इस स्वतन्त्रता को वीर सावरकर ने अधूरी स्वतन्त्रता मन और पने जीवन में अंतिम वर्षों तक अखंड भारत का साप्न देखते रहे उनका यह उत्कट देश प्रेम भारतियों के लिए चिरकाल तक एक प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा ।
₹90.00 -
ईमानदार बालक – Imandar Balak (Story For Children)
बच्चों के लिए प्रेरक कहानी
₹90.00 -
Bodh Kathayen ( MAHATMA ANAND SWAMI SARASWATI )
बोध कथाएं पढ़ने तथा सुनने से आध्यात्मिक शान्ति मिलती है , सद्बुद्धि के लिए प्रेरणा मिलती है , सद्धर्म और सदाचार के लिए उत्साह मिलता है , और ये सब – कुछ ऐसे रोचक ढंग से मिलता है कि सुनने या पढ़नेवाले का मन कभी ऊबता नहीं । इस रोचकता का सबसे बड़ा कारण है उनकी अतुल स्मरण शक्ति और उनका जीवनभर का क्रियात्मक अनुभव । वे जो बात कहते हैं , केवल एक दर्शनशास्त्री के तौर पर नहीं कहते , अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं ।
₹75.00 -
कर्मफल सिद्धांत – Karmphal Siddhant
उपाध्याय जी जन्मजात दार्शनिक थे । दर्शन तथा सिद्धान्त सम्बन्धी अनेकों उच्चकोटि के ग्रन्थ उन्होंने लिखे । पाप , पुण्य , दुःख , सुख , मृत्यु , पुनर्जन्म , जीव व ब्रह्म का सम्बन्ध विषयक अनके प्रश्नों पर इस पुस्तक में युक्तियुक्त सप्रमाण प्रकाश डाला गया है । ‘ कर्म – फल – सिद्धान्त को बार बार पढ़ने को आपका मन करेगा । प्रश्नोत्तर शैली में अत्यन्त शुष्क विषय को उपाध्याय जी ने बहुत रोचक व सरल सुबोध बना दिया है । कर्म फल सिद्धान्त पर छोटी – बड़ी अनेक पुस्तकें हैं , परन्तु उपाध्याय जी की यह पुस्तक अपने विषय की अनुपम कृति | उपाध्याय जी ने स्वयं ही इसका उर्दू अनुवाद किया था । उपाध्याय जी की कौन सी दार्शनिक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है , यह निर्णय करना किसी भी विद्वान् के वश की बात नहीं है । बस यही कहकर सब गुणियों को सन्तोष करना चाहिए । कि अपने स्थान पर उनकी प्रत्येक पुस्तक सर्वश्रेष्ठ है । ज्ञान पिपासु पाठक , उपाध्याय जी के सदा ऋणी रहेंगे ।
₹30.00 -
कथा पच्चीसी ( Katha Pachisee )
स्वामी दर्शनानन्द जी का यह कथा – संकलन उत्प्रेरक है , मर्म – स्पर्शी भी । यह बालोपयोगी भी रहे , इसके लिए अशलीलता – बोधक शब्दों और पात्रों के नाम बदल दिये गए हैं । इसमें पौराणिक और लोक – कथाओं का रोचक वर्णन है । प्रत्येक कथा अंत में मार्मिक उपदेश दे जाती है । इसे सभी आयु के पाठक पढ़ें और ज्ञानार्जन करें , यही स्वामी दर्शनानन्द जी का ध्येय था और यही हमारा उद्देश्य है ।
₹30.00