• आर्यभिविनय (Aryabhivinaya)

    महर्षि ने इस लघु ग्रन्थ द्वारा ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान कराया है । ऋग्वेद के 53 मन्त्रों तथा यजुर्वेद के 54 मन्त्रों का हिन्दी भाषा में व्याख्यान करके ईश्वर के स्वरूप का बोध कराया है । ईश्वर के स्वरूप के साथ साथ परमेश्वर की स्तुति , प्रार्थना व उपासना तथा धर्मादि विषयों का भी वर्णन है । 100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने परिचितों में बाँटिये ।

  • गोकरुणानिधि (Gokarunanidhi)

    महर्षि दयानन्द ने सभी पशुओं की हिंसा रोककर उनकी रक्षा करने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी । चूँकि गौंओं के दूध तथा बैलों से सबसे अधिक हित होता है , अतः उन्होंने गौ की रक्षा पर अधिक बल दिया । वैसे सभी पशुओं की सुरक्षा के लिए लिखा है ।

    100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने परिचितों व मित्रों में बाँटिये ।

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