अग्नि की उड़ान- Agni ki Udan

300.00

100 in stock

यह पुस्तक ऐसे समय में प्रकाशित हुई है जब देश की संप्रभुता को बनाए रखने और उसकी सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए चल रहे तकनीकी प्रयासों को लेकर दुनिया में कई राष्ट्र सवाल उठा रहे हैं । ऐतिहासिक रूप से मानव जाति हमेशा से ही किसी – न – किसी मुद्दे को लेकर आपस में लड़ती रही है । प्रागैतिहासिक काल में युद्ध खाने एवं रहने की जरूरतों के लिए लड़े जाते थे । समय गुजरने के साथ ये युद्ध धर्म तथा विचारधाराओं के आधार पर लड़े जाने लगे और अब युद्ध आर्थिक एवं तकनीकी प्रभुत्व हासिल करने के लिए होने लग गए हैं । नतीजतन , आर्थिक एवं तकनीकी प्रभुत्व राजनीतिक शाक्ति और विश्व नियंत्रण का प्रर्याय बन गया है । पिछले कुछ दशकों में कुछ देश बहुत ही तेजी से प्रौद्योगिकी की दृष्टि से काफी मजबूत होकर उभरे हैं और अपने हितों की पूर्ति के लिए बाकी दुनिया का नियंत्रण लगभग इनके हाथ में चला गया है । इसके चलते ये कुछ एक बड़े देश नए विश्व के स्वयंभू नेता बन गए हैं । ऐसी स्थिति में एक अरब की आबादीवाले भारत जैसे विशाल देश को क्या करना चाहिए ? प्रौद्योगिकी प्रभुता पाने के सिवाय वास्तव में हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है । लेकिन क्या प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अग्रणी हो सकता है ? मेरा जवाब एक निश्चित ‘ हाँ ‘ है । और अपने जीवन की कछ घटनाओं से मैं अपने इस जवाब की वैधता साबित करने का इस पुस्तक में प्रयत्न करूँगा ।

Compare
  Ask a Question

यह पुस्तक ऐसे समय में प्रकाशित हुई है जब देश की संप्रभुता को बनाए रखने और उसकी सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए चल रहे तकनीकी प्रयासों को लेकर दुनिया में कई राष्ट्र सवाल उठा रहे हैं । ऐतिहासिक रूप से मानव जाति हमेशा से ही किसी – न – किसी मुद्दे को लेकर आपस में लड़ती रही है । प्रागैतिहासिक काल में युद्ध खाने एवं रहने की जरूरतों के लिए लड़े जाते थे । समय गुजरने के साथ ये युद्ध धर्म तथा विचारधाराओं के आधार पर लड़े जाने लगे और अब युद्ध आर्थिक एवं तकनीकी प्रभुत्व हासिल करने के लिए होने लग गए हैं । नतीजतन , आर्थिक एवं तकनीकी प्रभुत्व राजनीतिक शाक्ति और विश्व नियंत्रण का प्रर्याय बन गया है । पिछले कुछ दशकों में कुछ देश बहुत ही तेजी से प्रौद्योगिकी की दृष्टि से काफी मजबूत होकर उभरे हैं और अपने हितों की पूर्ति के लिए बाकी दुनिया का नियंत्रण लगभग इनके हाथ में चला गया है । इसके चलते ये कुछ एक बड़े देश नए विश्व के स्वयंभू नेता बन गए हैं । ऐसी स्थिति में एक अरब की आबादीवाले भारत जैसे विशाल देश को क्या करना चाहिए ? प्रौद्योगिकी प्रभुता पाने के सिवाय वास्तव में हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है । लेकिन क्या प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अग्रणी हो सकता है ? मेरा जवाब एक निश्चित ‘ हाँ ‘ है । और अपने जीवन की कछ घटनाओं से मैं अपने इस जवाब की वैधता साबित करने का इस पुस्तक में प्रयत्न करूँगा ।

Additional information

Weight 0.350 kg
Dimensions 21 × 13 cm
Be the first to review “अग्नि की उड़ान- Agni ki Udan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Reviews

There are no reviews yet.

No more offers for this product!

General Inquiries

There are no inquiries yet.

Main Menu

अग्नि की उड़ान- Agni ki Udan

अग्नि की उड़ान- Agni ki Udan

300.00

Add to Cart