आर्य-पर्वपद्धति – Arya-Parva Paddhati By Pandit Bhavani Prasad
₹125.00
पर्वो – त्यौहारों तथा महात्माओं , महापुरुषों के जन्मोत्सव , विजयोत्सव व धर्मोत्सव को मनाना हमारी परिपाटी है । आर्य शताब्दी सभा द्वारा स्वीकृत यह पर्व – त्यौहार पद्धतियाँ हमें पर्वों का शुद्ध व सत्यस्वरूप जानने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होंगी । इस पुस्तक से मार्गदर्शन प्राप्त कर समस्त आर्यजगत में त्यौहार एक विधि से मनाए जाएँ , यही इसका उद्देश्य है ।
वैदिक धर्म वैज्ञानिक धर्म है । श्रेष्ठ संस्कारवान् मानव का निर्माण करना वैदिक संस्कृति का मूलभूत उद्देश्य है । ऋषियों – मनीषियों ने मानव को सुसंस्कृत करने के लिए कुछ पर्व – पद्धतियाँ व कर्मकाण्ड – पद्धतियाँ बनाई । शिशु के गर्भ में आते ही आत्मा को अनेकानेक मलिनताओं से दूर रखने के लिए अर्थात् मृत्यु पर्यन्त आनन्दपूर्वक सुव्यवस्थित जीवन जीने के लिए इन पर्वो कर्मकाण्डों की व्यवस्था की गई है । हमारे पर्व व त्यौहार धर्म से घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं , यही आर्य जाति के पर्वों की विशेषता है । पर्वो व त्यौहारों का उद्देश्य मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन को साकार करना , धार्मिकता के भावों तथा आनन्द की वृद्धि करना है । वैदिक कर्मकाण्डों के प्रति श्रद्धा भाव जगाने के लिए बड़ी सरस तथा सरल शैली में इस पुस्तक की रचना की गई है । आइए लेखक द्वारा प्रस्तुत इस परिष्कृत परिपाटी का प्रचार करते हुए पर्वो के शुद्ध व सत्यस्वरूप को संसार के समक्ष प्रकट करें ।
पर्वो – त्यौहारों तथा महात्माओं , महापुरुषों के जन्मोत्सव , विजयोत्सव व धर्मोत्सव को मनाना हमारी परिपाटी है । आर्य शताब्दी सभा द्वारा स्वीकृत यह पर्व – त्यौहार पद्धतियाँ हमें पर्वों का शुद्ध व सत्यस्वरूप जानने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होंगी । इस पुस्तक से मार्गदर्शन प्राप्त कर समस्त आर्यजगत में त्यौहार एक विधि से मनाए जाएँ , यही इसका उद्देश्य है ।
वैदिक धर्म वैज्ञानिक धर्म है । श्रेष्ठ संस्कारवान् मानव का निर्माण करना वैदिक संस्कृति का मूलभूत उद्देश्य है । ऋषियों – मनीषियों ने मानव को सुसंस्कृत करने के लिए कुछ पर्व – पद्धतियाँ व कर्मकाण्ड – पद्धतियाँ बनाई । शिशु के गर्भ में आते ही आत्मा को अनेकानेक मलिनताओं से दूर रखने के लिए अर्थात् मृत्यु पर्यन्त आनन्दपूर्वक सुव्यवस्थित जीवन जीने के लिए इन पर्वो कर्मकाण्डों की व्यवस्था की गई है । हमारे पर्व व त्यौहार धर्म से घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं , यही आर्य जाति के पर्वों की विशेषता है । पर्वो व त्यौहारों का उद्देश्य मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन को साकार करना , धार्मिकता के भावों तथा आनन्द की वृद्धि करना है । वैदिक कर्मकाण्डों के प्रति श्रद्धा भाव जगाने के लिए बड़ी सरस तथा सरल शैली में इस पुस्तक की रचना की गई है । आइए लेखक द्वारा प्रस्तुत इस परिष्कृत परिपाटी का प्रचार करते हुए पर्वो के शुद्ध व सत्यस्वरूप को संसार के समक्ष प्रकट करें ।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 cm |
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