• आर्य और आर्य समाज का संक्षिप्त परिचय (Arya aur Arya samaj Ka Sankshipt Parichaya )

    सामाजिक , आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय विचारधारा के आन्दोलन का नाम आर्यसमाज है । आर्यसमाज एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है । भारत एवं भारत के बाहर भी अनेक देशों में इसकी शाखाएं हैं । देश के अनेक महापुरुषों ने इसका महत्त्वपूर्ण योगदान समाज सुधार , संस्कृति रक्षा व वर्तमान भारत की स्वतन्त्रता में बताया है ।

    किन्तु फिर भी आम आदमी आज इससे पूर्णतः परिचित नहीं है , इसे समझते नहीं हैं । – पाठकों को इस पुस्तक से आर्यसमाज के प्रति सही जानकारी हो व किन्हीं कारणों से फैली भ्रान्ति नष्ट हो और इसके महत्त्व को जन – मानस समझ सके यही भावना है ।

  • गोकरुणानिधि (Gokarunanidhi)

    महर्षि दयानन्द ने सभी पशुओं की हिंसा रोककर उनकी रक्षा करने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी । चूँकि गौंओं के दूध तथा बैलों से सबसे अधिक हित होता है , अतः उन्होंने गौ की रक्षा पर अधिक बल दिया । वैसे सभी पशुओं की सुरक्षा के लिए लिखा है ।

    100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने परिचितों व मित्रों में बाँटिये ।

  • उदेश्य सर्वस्व (Uddeshya sarvasva)-

    त्वदीयं वस्तु महर्षे ! तुभ्यमेव समर्पये । इस लोकोक्ति के आधार पर आर्यसमाज के 10 उद्देश्यों का संगति सूत्र लेकर लेखक इस लघु पुस्तिका में इन उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या कर रहे हैं ।

    इस लघु पुस्तिका के मुख्य पृष्ठ पर बने चित्र उपकार – तुला में संगति – सूत्र की एक झांकी लें । उपकार – तुला के दो पलड़े हैं – एक है व्यक्ति – पालड़ा , है दूसरा समाज – पालड़ा । व्यक्ति – पलड़े में प्रथम पांच उद्देश्य रखें हैं । समाज – पलड़े में पिछले चार उद्देश्य रखे हैं । पहले पांच उद्देश्यों का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण है , जबकि पिछले चार उद्देश्यों का लक्ष्य समाज निर्माण है ।

    व्यक्ति और समाज के निर्माण और सामंजस्य में ही विश्व निर्माण और संसार का उपकार संभव है । पाठक वृन्द चित्र में इसकी झांकी लें और लघु पुस्तिका का अध्ययन मनन करें |

  • आर्योद्देश्यरत्नमाला (Arya uddeshya ratnamala

    इस ग्रन्थ में महत्वपूर्ण व्यवहारिक शब्दों ( आर्यों के मन्तव्यों ) की परिभाषाएँ प्रस्तुत की गई है , जो वेदादि शास्त्रों पर आधारित हैं । इसमें 100 मन्तव्यों ( नियमों ) का संग्रह है । अथात् सौ नियमों रूपी रत्नो की माला गूँथी गई है । धर्म और व्यवहार में आने वाले इन शब्दों एवं नियमों का सच्चा तथा वास्तविक अर्थ समझ कर व्यक्ति भटकने से बच जाए । अतः सब मनुष्यों के हितार्थ लिखी गई है । 100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने मित्रों व बालक – बालिकाओं में बाँटिये । अंग्रेजी में भी उपलब्ध ।

    Maharshi Dayanand Saraswati wrote Aryoddeshya Ratnamala to highlight the beliefs , values , and principles of Aryas . In this small booklet , he used very simple language to define very complex and difficult concepts that were and still are misunderstood in society . For example , the word ” Vishwaas ” means belief in English . Generally , people do not associate belief with truth . However , Maharshi Dayanand states that Vishwaas means belief that aligns with truth and truthful outcomes . This definition is unique and would motivate people to reexamine their beliefs and search for truth . Maharshi Dayanand Saraswati wrote many books . Some of the well – known ones are Satyaarth Prakaash , Sanskaar Vidhi , and Rig Vedaadi Bhaashya Bhoomikaa . Aryoddeshya Ratna Mala is not well known in society today . The goal of translating it in English is to publicize it on a grand scale in India and abroad with the hope that readers may find it inspiring and educational .

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