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आर्यसमाज क्या और क्यों ? (Aryasamaj kya aur Kyon)
आर्यसमाज एक विख्यात धार्मिक संस्था का नाम है । आधुनिक विश्व के इतिहास में इस संस्था ने जन जागरण व जन – कल्याण के अद्भुत कार्य करके एक इतिहास बनाया है । प्रस्तुत है एक परिचय | आर्यसमाज के सिद्धान्त व उद्देश्य , संस्थापक का संक्षिप्त जीवन परिचय , ईश्वर और उसकी उपासना , आहार , संस्कार और व्यवहार , आर्यसमाज के कुछ हुतात्मा , जन जागरण को आर्यसमाज की देन , विदेशों में आर्यसमाज आदि पर विचार प्रस्तुत हैं ।
₹20.00 -
आर्यसमाज के दस नियमों की व्याख्या (Aryasamaj Ke Das Niyamon Ki Vyakhaya)
सत्य पर आधारित एक सर्वभौम आर्यसंगठन का नाम आर्यसमाज है । आर्यसमाज का धर्म वेद है । वैदिक सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या महर्षि दयानन्दरचित ग्रन्थों में और उन सिद्धान्तों का संक्षेप ‘ स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश ‘ में दिया गया है और उसका भी सार आर्यसमाज के नियमों में है । यह सभी नियम बहुत तर्कपूर्ण हैं ।
आर्यसमाजों के साप्ताहिक सत्संग में शान्तिपाठ से पूर्व आर्यसमाज के नियमों का सम्मिलित पाठ किया जाता है । इसके अतिरिक्त अनेक आर्यशिक्षण संस्थाओं में छात्रों को ये नियम कण्ठस्थ कराये जाते हैं । इस प्रकार आर्यजनों में इन नियमों का व्यापक प्रचार है । इन नियमों की भावना और सिद्धान्तों को सही प्रकार से समझ सकें , इस उद्देश्य से प्रस्तुत पुस्तक में नियमों की सरल व्याख्या करने का प्रयास किया है । आशा है स्वाध्यायशील आर्यजन इस प्रयास से लाभान्वित होंगे ।
₹30.00 -
आर्यभिविनय (Aryabhivinaya)
महर्षि ने इस लघु ग्रन्थ द्वारा ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान कराया है । ऋग्वेद के 53 मन्त्रों तथा यजुर्वेद के 54 मन्त्रों का हिन्दी भाषा में व्याख्यान करके ईश्वर के स्वरूप का बोध कराया है । ईश्वर के स्वरूप के साथ साथ परमेश्वर की स्तुति , प्रार्थना व उपासना तथा धर्मादि विषयों का भी वर्णन है । 100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने परिचितों में बाँटिये ।
₹30.00आर्यभिविनय (Aryabhivinaya)
₹30.00 -
आर्य-पर्वपद्धति – Arya-Parva Paddhati By Pandit Bhavani Prasad
पर्वो – त्यौहारों तथा महात्माओं , महापुरुषों के जन्मोत्सव , विजयोत्सव व धर्मोत्सव को मनाना हमारी परिपाटी है । आर्य शताब्दी सभा द्वारा स्वीकृत यह पर्व – त्यौहार पद्धतियाँ हमें पर्वों का शुद्ध व सत्यस्वरूप जानने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होंगी । इस पुस्तक से मार्गदर्शन प्राप्त कर समस्त आर्यजगत में त्यौहार एक विधि से मनाए जाएँ , यही इसका उद्देश्य है ।
वैदिक धर्म वैज्ञानिक धर्म है । श्रेष्ठ संस्कारवान् मानव का निर्माण करना वैदिक संस्कृति का मूलभूत उद्देश्य है । ऋषियों – मनीषियों ने मानव को सुसंस्कृत करने के लिए कुछ पर्व – पद्धतियाँ व कर्मकाण्ड – पद्धतियाँ बनाई । शिशु के गर्भ में आते ही आत्मा को अनेकानेक मलिनताओं से दूर रखने के लिए अर्थात् मृत्यु पर्यन्त आनन्दपूर्वक सुव्यवस्थित जीवन जीने के लिए इन पर्वो कर्मकाण्डों की व्यवस्था की गई है । हमारे पर्व व त्यौहार धर्म से घनिष्ठ सम्बन्ध रखते हैं , यही आर्य जाति के पर्वों की विशेषता है । पर्वो व त्यौहारों का उद्देश्य मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन को साकार करना , धार्मिकता के भावों तथा आनन्द की वृद्धि करना है । वैदिक कर्मकाण्डों के प्रति श्रद्धा भाव जगाने के लिए बड़ी सरस तथा सरल शैली में इस पुस्तक की रचना की गई है । आइए लेखक द्वारा प्रस्तुत इस परिष्कृत परिपाटी का प्रचार करते हुए पर्वो के शुद्ध व सत्यस्वरूप को संसार के समक्ष प्रकट करें ।
₹125.00 -
आर्य समाज के बीस बलिदानी (Arya Samaj Ke Bees Balidani)
भारत के नवजागरण तथा उसके धार्मिक एवं सांस्कृतिक पुनरुथान में आर्यसमाज का जो योगदान है उसे पहले ही इतिहास में अंकित कर लिया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में उन 20 आर्य नेताओं के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिन्होंने आर्यसमाज के माध्यम से स्वधर्म, स्वराष्ट्र तथा स्वसंस्कृति की सेवा की। आशा है इस लघु कलेवर वाली पुस्तक से पाठकों को आर्य नेताओं के लोक-कल्याण के लिये समर्पित जीवन की सही-सही जानकारी प्राप्त हो सकेगी। डॉ. भवानीलाल भारतीय ने इसे भाषा और शैली की दृष्टि से किशोरोपयोगी बनाकर प्रशंसनीय कार्य किया है ।
₹45.00 -
आर्य सत्संग गुटका (Arya Satsang Gutika)
सन्ध्या , प्रार्थना , स्वस्तिवाचन शान्तिकरण , प्रधान हवन , संगठनसूक्त , आर्यसमाज के नियम एवं मनोहारी भजन ( सार्वदेशिक धर्मार्य सभा से स्वीकृत पद्धति के आधार पर ) ।
₹25.00 -
आर्य और आर्य समाज का संक्षिप्त परिचय (Arya aur Arya samaj Ka Sankshipt Parichaya )
सामाजिक , आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय विचारधारा के आन्दोलन का नाम आर्यसमाज है । आर्यसमाज एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है । भारत एवं भारत के बाहर भी अनेक देशों में इसकी शाखाएं हैं । देश के अनेक महापुरुषों ने इसका महत्त्वपूर्ण योगदान समाज सुधार , संस्कृति रक्षा व वर्तमान भारत की स्वतन्त्रता में बताया है ।
किन्तु फिर भी आम आदमी आज इससे पूर्णतः परिचित नहीं है , इसे समझते नहीं हैं । – पाठकों को इस पुस्तक से आर्यसमाज के प्रति सही जानकारी हो व किन्हीं कारणों से फैली भ्रान्ति नष्ट हो और इसके महत्त्व को जन – मानस समझ सके यही भावना है ।
₹18.00