• उपनिषदों की कथाएं ( Upnishadon ki kathayen )

    आर्य समाज में उपनिषदों को सदा ही आदर मिलता रहा है । ऋषि दयानंद ने अपने ग्रंथों में उपनिषदों के शतशः उद्धरण दिए हैं तथा अपने दार्शनिक मत की पुष्टि में उन्हें भूरीशः उद्धृत किया है । उपनिषत्कार प्रायः अपने सिद्धांतों को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न आख्यानों और कथाओं का सहारा लेते हैं । इन आख्यानों और कथाओं के द्वारा अध्यात्म जैसे गूढ़ विषय को स्पष्ट , सरल तथा बोधगम्य बनाने का उपनिषद् निर्माता ऋषियों का यह प्रयास निश्चय ही श्लाघनीय था ।

    आवश्यक कथाओं की यह सुबोध व्याख्या उपनिषद्गत अध्यात्म में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत है ।

    The Upnishads are Vedanta , a book of knowledge in higher degree even than the VEDAS . In the present work , the author has selected the well known dialogues and parables from the Upnishads ; narrated and have tried to be as close to the original as possible , retaining the beauty of the original composition .

    Each phrase has something interesting and instructive . Each dialogue deals with some of the mysteries unfolded .

  • उपनिषद रहस्य- एकादशोपनिशद Upnishad Rahasya – Ekadashopnishad By: Mahatma Narayan Swami

    उपनिषद् शब्द का एक अर्थ ‘ रहस्य ‘ भी है । उपनिषद् अथवा ब्रह्म विद्या अत्यन्त गूढ़ होने के कारण साधारण विद्याओं की भाँति हस्तगत नहीं हो सकती , इन्हें ‘ रहस्य ‘ कहा जाता है । इन रहस्यों को उजागर करने वालों में महात्मा नारायण स्वामीजी का नाम उल्लेखनीय है । उपनिषदों में ब्रह्म और आत्मा की बात इतनी अच्छी प्रकार से समझाई गई है कि सामान्य बुद्धि वाले भी उसका विषय समझ लेते हैं । महात्मा नारायण स्वामीजी ने अनेक स्थानों पर सरल , सुबोध तथा रोचक कथाएँ प्रस्तुत कर इन्हें उपयोगी बना दिया है । वास्तव में उपनिषदों में विवेचित ब्रह्मविद्या का मूलाधार तो वेद ही हैं । इस सम्बन्ध में महर्षि दयानन्दजी कहते हैं- ” वेदों में पराविद्या न होती , तो ‘ केन ‘ आदि उपनिषदें कहाँ से आतीं ? ” आइए ग्यारह उपनिषदों के माध्यम से मानवीय भारतीय चिन्तन की एक झाँकी लें ।

    The word Upanishad means the setting down of the disciple near his teacher in a devoted manner to receive instruction about the Highest Reality which loosens all doubts and destroys all ignorance of the disciple. The Author translated these Upanishads according to the philosophy of Svami Dayanand Sarasvati. Authentic and Lucid Hindi translation all of Eleven Upanishads by a great vedic scholar and Mahatma Narain Swami, will clarify many doubts regarding the principles of the Upanishads and will show a new path to the admirers and readers of the Upanishads.

  • उदेश्य सर्वस्व (Uddeshya sarvasva)-

    त्वदीयं वस्तु महर्षे ! तुभ्यमेव समर्पये । इस लोकोक्ति के आधार पर आर्यसमाज के 10 उद्देश्यों का संगति सूत्र लेकर लेखक इस लघु पुस्तिका में इन उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या कर रहे हैं ।

    इस लघु पुस्तिका के मुख्य पृष्ठ पर बने चित्र उपकार – तुला में संगति – सूत्र की एक झांकी लें । उपकार – तुला के दो पलड़े हैं – एक है व्यक्ति – पालड़ा , है दूसरा समाज – पालड़ा । व्यक्ति – पलड़े में प्रथम पांच उद्देश्य रखें हैं । समाज – पलड़े में पिछले चार उद्देश्य रखे हैं । पहले पांच उद्देश्यों का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण है , जबकि पिछले चार उद्देश्यों का लक्ष्य समाज निर्माण है ।

    व्यक्ति और समाज के निर्माण और सामंजस्य में ही विश्व निर्माण और संसार का उपकार संभव है । पाठक वृन्द चित्र में इसकी झांकी लें और लघु पुस्तिका का अध्ययन मनन करें |

  • इस्लाम के दो चेहरे – Islam ke Do chehre By: Dr. KV. Palival

    हमें लगता है कि इस्लाम धर्म है ।   लेकिन इसकी प्रमाणिकता कैसे होगी यह भी जानना जरुरी है । क्यों एक विशेष मत-मजहब को मानने वाले अनुयायी ही आतंकवाद जैसी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है ।इस मत-मजहब-धर्म को विस्तार कैसे मिला ? बहुत से प्रश्न हमारे मन में होते है लेकिन उनका समाधान मिल पाना कठिन हो जाता है ।

    उक्त पुस्तक में इस्लाम मत की उत्पत्ति कैसे हुई ?, इस्लाम मत-मजहब या धर्म ?, इस्लाम को कैसे समझे ? पैगम्बर मुहम्मद का जीवन परिचय, इस्लाम से समाधान आदि मुख्य विषयों को डॉक्टर कृष्ण वल्लभ पालीवाल जी ने सरलता से समझाने के लिए इस्लाम के दो चेहरे पुस्तक को प्रकाशित करवाया था ।  हमें   आशा है कि उनके द्वारा लिखी गई यह पुस्तक इस्लाम के दो चेहरे आपका इस मत-मजहब-धर्म के प्रति विशेष अध्ययन कराएगी ।

  • आहार चिकित्सा- Aahar Chikitsa By Vaidya Suresh Chaturvedi

    प्रत्येक व्यक्ति किसी – न – किसी रोग से ग्रस्त है । जिन रोगों के बारे में हमारी विवशता बनती जा रही है । संपूर्ण संसार में हजारों चिकित्सा पद्धतियाँ विकसित हो चुकी हैं । इनके साथ – साथ उन्नत चिकित्सकीय यंत्र एवं उपकरण तथा अद्भुत जीवन रक्षक दवाएँ विकसित कर ली गई हैं , फिर भी आज का मानव नाना रोगों से पीड़ित जीने को विवश है । अतः इन रोगों का कारण क्या है , यह जानना अत्यावश्यक हो गया है । इसका प्रमुख कारण है – हमारा असंयमित असंतुलित आहार । हमें क्या खाना चाहिए , क्यों खाना चाहिए , कब खाना चाहिए , कितना खाना चाहिए- ऐसे अनेक गंभीर प्रश्नों का समाधान स्वामीजी ने प्रस्तुत पुस्तक ‘ आहार चिकित्सा ‘ में बड़ी ही सरल , सुगम व बोधगम्य भाषा में प्रभावपूर्ण ढंग से किया है । पुस्तक में सुझाई गई बातों को अगर आप ध्यानपूर्वक आत्मसात् करेंगे , धैर्य और शांति से उनका अनुसरण करेंगे तो निश्चय ही बीमार होने की नौबत नहीं आएगी ।

  • आर्ष योगप्रदिपिका – Arsh yogpradipika By Brahmamuni Privrajak

    श्री स्वामी ब्रह्ममुनि जी सचमुच ब्रह्मज्ञान के मननकर्ता हैं । वेद और आर्ष ग्रन्थों के स्वाध्याय का स्वाद वे अकेले नहीं लेते , प्रत्युत दूसरों को भी उसमें सम्मिलित करते हैं । इससे पूर्व स्वामीजी महाराज तैंतीस ग्रन्थों द्वारा अपने स्वाध्याय का रसास्वादन जनता को करा चुके हैं । यह चौंतीसवां ग्रन्थ योग विषयक है । स्वामी जी ने इस ग्रन्थ में महर्षि पतंजलि जी के योगसूत्रों का अर्थ और उनकी व्याख्या के साथ सूत्रों पर सर्वसम्मत् प्रामाणिक व्यासकृत भाष्य का भी भाषानुवाद दे दिया

  • आर्योद्देश्यरत्नमाला (Arya uddeshya ratnamala

    इस ग्रन्थ में महत्वपूर्ण व्यवहारिक शब्दों ( आर्यों के मन्तव्यों ) की परिभाषाएँ प्रस्तुत की गई है , जो वेदादि शास्त्रों पर आधारित हैं । इसमें 100 मन्तव्यों ( नियमों ) का संग्रह है । अथात् सौ नियमों रूपी रत्नो की माला गूँथी गई है । धर्म और व्यवहार में आने वाले इन शब्दों एवं नियमों का सच्चा तथा वास्तविक अर्थ समझ कर व्यक्ति भटकने से बच जाए । अतः सब मनुष्यों के हितार्थ लिखी गई है । 100 – 100 प्रतियाँ खरीद कर अपने मित्रों व बालक – बालिकाओं में बाँटिये । अंग्रेजी में भी उपलब्ध ।

    Maharshi Dayanand Saraswati wrote Aryoddeshya Ratnamala to highlight the beliefs , values , and principles of Aryas . In this small booklet , he used very simple language to define very complex and difficult concepts that were and still are misunderstood in society . For example , the word ” Vishwaas ” means belief in English . Generally , people do not associate belief with truth . However , Maharshi Dayanand states that Vishwaas means belief that aligns with truth and truthful outcomes . This definition is unique and would motivate people to reexamine their beliefs and search for truth . Maharshi Dayanand Saraswati wrote many books . Some of the well – known ones are Satyaarth Prakaash , Sanskaar Vidhi , and Rig Vedaadi Bhaashya Bhoomikaa . Aryoddeshya Ratna Mala is not well known in society today . The goal of translating it in English is to publicize it on a grand scale in India and abroad with the hope that readers may find it inspiring and educational .

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